
हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में दिन के अलग-अलग समयों का विशेष महत्व बताया गया है। इनमें खासतौर पर शाम के समय बहुत ही संवेदनशील माना जाता है। कहा जाता है कि इस समय कुछ गलत काम करने से घर में दरिद्रता, नकारात्मकता और आर्थिक संकट आ सकते हैं। इसलिए, अगर आप अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं, तो इन 5 कामों को भूलकर भी शाम के समय न करें।
Table of Contents
1. सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना या कूड़ा बाहर फेंकना – क्यों है अशुभ?
हम सभी घर को साफ-सुथरा रखने के लिए झाड़ू लगाते हैं और कूड़ा बाहर फेंकते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सूर्यास्त के बाद ऐसा करना बहुत अशुभ माना जाता है? हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस समय झाड़ू लगाने या कूड़ा बाहर फेंकने से घर से धन, सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का नाश हो सकता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार नुकसान:
- मां लक्ष्मी की कृपा कम हो जाती है: शाम के समय झाड़ू लगाने से माना जाता है कि देवी लक्ष्मी घर छोड़कर चली जाती हैं, जिससे आर्थिक संकट और गरीबी आ सकती है।
- घर में दरिद्रता का प्रवेश: यह माना जाता है कि शाम के समय झाड़ू लगाने से घर से सिर्फ गंदगी ही नहीं, बल्कि समृद्धि और खुशियां भी बाहर चली जाती हैं।
- नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है: शाम के समय सफाई करने से घर में अशुभ शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच झगड़े और तनाव बढ़ते हैं।
- आर्थिक हानि: यदि रोज़ाना शाम के समय कूड़ा बाहर फेंका जाता है, तो इससे धन की कमी और आय में रुकावटें आने लगती हैं।
शास्त्रों और परंपराओं में मान्यता:
- महाभारत और पुराणों में भी बताया गया है कि शाम के समय झाड़ू लगाने से घर में दरिद्रता और दुर्भाग्य का वास हो सकता है।
- गृह लक्ष्मी सिद्धांत के अनुसार, लक्ष्मी माता का आगमन साफ-सुथरे और सकारात्मक माहौल में ही होता है, लेकिन सूर्यास्त के बाद सफाई करने से वह घर में नहीं ठहरतीं।
- पुराने समय में लोग रात के समय कूड़ा बाहर नहीं फेंकते थे, क्योंकि माना जाता था कि इससे घर की समृद्धि धीरे-धीरे खत्म होने लगती है।
क्या करें? (सही उपाय)
- झाड़ू और सफाई का सही समय सुबह और दोपहर के बीच माना जाता है।
- यदि बहुत ज़रूरी हो, तो शाम के समय बाद झाड़ू लगाने से पहले थोड़ा सा नमक पानी में मिलाकर फर्श पोंछें, ताकि नकारात्मकता दूर हो सके।
- कूड़ा हमेशा सुबह के समय बाहर फेंकें, ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
- अगर गलती से सूर्यास्त के बाद झाड़ू लग जाए, तो घर के मंदिर में एक दीपक जलाएं और मां लक्ष्मी से क्षमा प्रार्थना करें।
अगर आप अपने घर में खुशहाली, सुख-समृद्धि और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना चाहते हैं, तो शाम के समय के बाद झाड़ू लगाने या कूड़ा बाहर फेंकने से बचें। यह एक छोटी-सी आदत आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।
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2. शाम को तुलसी के पौधे को न छुएं या जल न दें – क्यों है यह नियम?
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है, और इसकी पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। तुलसी का पौधा जितना पवित्र होता है, उतनी ही इसके पूजन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण मान्यताएं भी हैं। क्या आप जानते हैं कि सूर्यास्त के बाद तुलसी को छूना या इसमें जल अर्पित करना वर्जित माना जाता है? ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और देवी लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं।
वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नुकसान:
- तुलसी माता विश्राम करती हैं:- धार्मिक मान्यता के अनुसार, शाम के समय तुलसी माता विश्राम करती हैं। इस समय उन्हें छूना या जल अर्पित करना उन्हें अशांत कर सकता है, जिससे उनकी कृपा कम हो सकती है।
- नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है:- शाम के समय के बाद धरती पर रज-तम प्रवृत्तियां और नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती हैं। इस समय तुलसी को छूने से यह नकारात्मकता आपके जीवन और घर के वातावरण को प्रभावित कर सकती है।
- लक्ष्मी माता की कृपा घटती है:- तुलसी माता को देवी लक्ष्मी का ही एक स्वरूप माना जाता है। शाम के समय उन्हें छूना या जल चढ़ाना मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है, जिससे आर्थिक तंगी और दरिद्रता घर में प्रवेश कर सकती है।
- पौधे की सेहत पर बुरा प्रभाव:- वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें, तो शाम के समय पौधों का फोटोसिंथेसिस (सूरज की रोशनी से भोजन बनाना) रुक जाता है, और वे ऑक्सीजन लेने लगते हैं। इस समय उन्हें पानी देने से उनकी जड़ों को नुकसान हो सकता है।
क्या करें? (सही उपाय)
- तुलसी को जल अर्पित करने का सबसे शुभ समय सूर्योदय के बाद और दोपहर तक का होता है। सुबह-सुबह तुलसी पर जल चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा घर में बनी रहती है।
- अगर शाम के समय तुलसी की पूजा करनी हो, तो केवल दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और घर में शांति बनी रहेगी।
- कार्तिक मास (दीपावली के आसपास) में तुलसी माता की विशेष पूजा की जाती है, लेकिन इस दौरान भी शाम के समय तुलसी को जल अर्पित करने से बचना चाहिए।
शास्त्रों में उल्लिखित मान्यताएं
- स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में उल्लेख है कि तुलसी माता भगवान विष्णु की प्रिय हैं और वे दिनभर भक्तों के कल्याण के लिए सक्रिय रहती हैं, लेकिन शाम के समय के बाद विश्राम करती हैं।
- पुराणों के अनुसार, सूर्यास्त के बाद तुलसी के पत्ते तोड़ना भी वर्जित माना गया है, क्योंकि यह भगवान विष्णु के अपमान के समान होता है।
अगर आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी की कृपा आपके घर में हमेशा बनी रहे और नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न करे, तो सूर्यास्त के बाद तुलसी को न छूएं और न ही उसमें जल अर्पित करें। सिर्फ तुलसी के पास दीपक जलाएं और उनकी कृपा प्राप्त करें।
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3. तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, शराब) का सेवन – क्यों है अशुभ?
हिंदू धर्म और आयुर्वेद में भोजन को तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है – सात्त्विक, राजसिक और तामसिक। इनमें से सात्त्विक भोजन (फल, सब्जियां, दालें, अनाज आदि) को सबसे शुद्ध और शुभ माना गया है, जबकि तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, मछली, शराब आदि) को शरीर और मन के लिए हानिकारक बताया गया है।
विशेष रूप से शाम के समय तामसिक भोजन करने की मनाही है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है, मानसिक अशांति लाता है और आध्यात्मिक उन्नति में बाधा डालता है। आइए जानते हैं कि शाम के समय तामसिक भोजन क्यों नहीं करना चाहिए और इसके क्या नुकसान हो सकते हैं।
तामसिक भोजन के दुष्प्रभाव
1. मन और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव
- तामसिक भोजन खाने से मन अस्थिर, चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता है।
- रात के समय इसका सेवन करने से भारीपन महसूस होता है और पाचन क्रिया धीमी हो जाती है।
- यह नींद पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
2. आध्यात्मिक ऊर्जा कम हो जाती है
- हिंदू धर्म के अनुसार, शाम का समय देवी-देवताओं की आराधना और ध्यान के लिए शुभ माना जाता है। इस समय तामसिक भोजन करने से आध्यात्मिक ऊर्जा कम होती है और पूजा-पाठ का सही लाभ नहीं मिलता।
- कई संतों और योगियों का मानना है कि तामसिक भोजन शरीर में आलस्य और नकारात्मकता उत्पन्न करता है, जिससे आत्मिक शुद्धि बाधित होती है।
3. घर में नकारात्मकता और अशांति बढ़ती है
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, तामसिक भोजन करने से घर में कलह, झगड़े और तनाव बढ़ने की संभावना रहती है।
- यदि परिवार के सदस्य नियमित रूप से मांस, मछली, शराब आदि का सेवन करें, तो इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा घटने लगती है और धीरे-धीरे दुर्भाग्य घर में प्रवेश करने लगता है।
4. देवी लक्ष्मी की कृपा घटती है
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी केवल शुद्ध, स्वच्छ और सात्त्विक वातावरण में निवास करती हैं।
- अगर सूर्यास्त के बाद तामसिक भोजन किया जाए, तो यह अशुद्धता बढ़ाता है और मां लक्ष्मी की कृपा कम हो सकती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नुकसान
- रात में तामसिक भोजन करने से गैस, एसिडिटी और पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
- तामसिक भोजन ज्यादा तेल-मसालों और गरिष्ठ पदार्थों से भरपूर होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है और मोटापा बढ़ने लगता है।
- शराब और नॉन-वेज भोजन अधिक सेवन करने से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
क्या करें? (सही उपाय)
- ✔ शाम के समय हल्का और सात्त्विक भोजन करें, जैसे कि दाल, हरी सब्जियां, फल और सूखे मेवे।
- ✔ अगर आप प्याज-लहसुन का सेवन करते हैं, तो इसे दिन के समय लेना ज्यादा उचित रहेगा।
- ✔ रात में शराब या मांसाहार से पूरी तरह बचें, क्योंकि यह पाचन और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
- ✔ घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए शाम को दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें।
शाम के समय तामसिक भोजन करने से शरीर, मन और आध्यात्मिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह घर में नकारात्मकता, आर्थिक तंगी और दुर्भाग्य को भी बढ़ावा दे सकता है। अगर आप अपने घर में सुख-शांति, समृद्धि और मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखना चाहते हैं, तो तामसिक भोजन से बचें और सात्त्विक जीवनशैली अपनाएं।
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4. सूर्यास्त के बाद झगड़ा या अनावश्यक बहसबाजी – क्यों है अशुभ?
शाम का समय हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह समय दिनभर की थकान को भूलकर शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का होता है। लेकिन कई बार हम अनजाने में इस समय बहसबाजी, गुस्सा और झगड़े में उलझ जाते हैं, जो न केवल मानसिक अशांति लाता है, बल्कि घर की सुख-शांति और समृद्धि को भी प्रभावित करता है।
क्या आप जानते हैं कि शाम के समय के बाद गुस्सा करना, झगड़ना या अनावश्यक बहस करना दुर्भाग्य को बुलाने के समान माना जाता है? आइए जानते हैं कि शाम के समय झगड़ा क्यों नहीं करना चाहिए और इसके क्या नुकसान हो सकते हैं।
वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नुकसान
1. घर की शांति भंग होती है
शाम के समय देवी-देवताओं की कृपा पाने का सर्वोत्तम समय होता है, लेकिन अगर इस समय झगड़ा या बहसबाजी की जाए, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है। यह पारिवारिक सदस्यों के बीच तनाव और दूरियों को जन्म देता है।
2. मां लक्ष्मी की कृपा कम हो सकती है
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां लक्ष्मी केवल शांति, पवित्रता और सकारात्मक वातावरण में निवास करती हैं। यदि शाम के समय घर में लड़ाई-झगड़े होते हैं, तो यह मां लक्ष्मी के अपमान के समान माना जाता है, जिससे आर्थिक समस्याएं और दरिद्रता बढ़ सकती हैं।
3. नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ता है
सनातन धर्म में कहा गया है कि सूर्यास्त के बाद रज-तम ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है, जिससे नकारात्मक शक्तियां प्रभाव में आ जाती हैं। यदि इस समय गुस्सा, झगड़ा या बहसबाजी की जाए, तो यह घर की सकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर सकता है और अशुभ घटनाओं को जन्म दे सकता है।
4. मानसिक तनाव और स्वास्थ्य पर असर
झगड़े और तनाव का असर सीधे हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। रात के समय झगड़े करने से नींद खराब हो सकती है, रक्तचाप (BP) बढ़ सकता है और डिप्रेशन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नुकसान
- वैज्ञानिक रूप से देखा जाए, तो झगड़े और बहसबाजी से दिमाग में स्ट्रेस हार्मोन (कॉर्टिसोल) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अनिद्रा, बेचैनी और मानसिक अस्थिरता की समस्या हो सकती है।
- झगड़े के कारण संबंधों में कड़वाहट आ जाती है, जिससे पारिवारिक जीवन प्रभावित होता है और बच्चों के मानसिक विकास पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
- रात में गुस्सा करने से नींद की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे अगले दिन भी व्यक्ति चिड़चिड़ा और अनफोकस्ड महसूस करता है।
क्या करें? (सकारात्मक उपाय)
- ✔ शाम के समय घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखें और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए ध्यान या मंत्र जाप करें।
- ✔ यदि किसी बात पर बहस होने लगे, तो उसे टालने की कोशिश करें और शांत रहने की आदत डालें।
- ✔ गुस्से को नियंत्रित करने के लिए गहरी सांस लें, पानी पिएं या टहलने चले जाएं।
- ✔ घर में खुशहाली बनाए रखने के लिए शाम को दीप जलाएं, भजन करें और घर के मंदिर में शांति से बैठें।
- ✔ परिवार के साथ सकारात्मक बातचीत करें और हंसी-मजाक का माहौल बनाए रखें।
शाम के समय झगड़ा, गुस्सा और बहसबाजी करने से घर की सुख-शांति, आर्थिक समृद्धि और मानसिक संतुलन पर बुरा असर पड़ सकता है। यदि आप अपने जीवन में सकारात्मकता, शांति और मां लक्ष्मी की कृपा बनाए रखना चाहते हैं, तो इस आदत से बचें और घर के माहौल को शांतिपूर्ण बनाएं।

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5. दीपक या पूजा स्थान को अंधेरे में छोड़ना – क्यों है अशुभ?
हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र में दीपक और पूजा स्थान को विशेष रूप से पवित्र और ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। यह न केवल सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि भी बनाए रखता है। क्या आप जानते हैं कि शाम के समय दीपक जलाना और पूजा स्थल को रोशनी से भरपूर रखना बहुत जरूरी होता है?
यदि आप पूजा स्थान को अंधेरे में छोड़ देते हैं या शाम को दीपक जलाने की परंपरा को नजरअंदाज करते हैं, तो यह दुर्भाग्य को न्योता देने के समान माना जाता है। आइए जानते हैं कि ऐसा करने से क्या नुकसान हो सकते हैं और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
वास्तु शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नुकसान
1. मां लक्ष्मी का अपमान और दरिद्रता का प्रवेश
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मां लक्ष्मी को प्रकाश बहुत प्रिय है। यदि शाम के समय घर में और विशेष रूप से पूजा स्थान पर दीपक नहीं जलाया जाता, तो यह मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है और इससे घर में आर्थिक तंगी और दरिद्रता प्रवेश कर सकती है।
2. घर में नकारात्मक ऊर्जा और अशुभ शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं
मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद रज-तम गुण और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। यदि इस समय पूजा स्थान को अंधेरे में छोड़ दिया जाए, तो यह नकारात्मक शक्तियों (भूत-प्रेत और अशुभ ऊर्जा) को आकर्षित कर सकता है, जिससे घर में कलह, मानसिक तनाव और दुर्भाग्य बढ़ सकता है।
3. परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद और अशांति
शास्त्रों के अनुसार, शाम को दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, जिससे परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और आपसी समझ बढ़ती है। यदि दीपक नहीं जलाया जाता और पूजा स्थान अंधेरे में रहता है, तो यह मनमुटाव, झगड़े और अशांति को जन्म दे सकता है।
4. घर में शुभता और आध्यात्मिक ऊर्जा कम हो जाती है
पूजा स्थान को अंधेरे में छोड़ देने से घर का वातावरण नकारात्मक हो सकता है और आध्यात्मिक उन्नति में बाधा आ सकती है। इससे पूजा-पाठ में मन नहीं लगता और भक्तों की भक्ति शक्ति कमजोर हो सकती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नुकसान
- शाम के समय दीपक जलाने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है।
- पूजा स्थल में प्रकाश रहने से मन सकारात्मक बना रहता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- दीपक जलाने से हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है, जिससे घर का वातावरण शुद्ध बना रहता है।
क्या करें? (सकारात्मक उपाय)
- ✔ हर रोज सूर्यास्त के बाद पूजा स्थान पर दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूपबत्ती जलाकर वातावरण को पवित्र करें।
- ✔ दीपक जलाने के साथ-साथ भगवान के भजन, मंत्र या श्लोकों का उच्चारण करें, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
- ✔ अगर आप किसी कारणवश दीपक नहीं जला सकते, तो पूजा स्थल में कम से कम एक छोटी रोशनी (LED लाइट या दीया) जरूर जलाकर रखें।
- ✔ घर के मुख्य दरवाजे और तुलसी के पौधे के पास भी एक दीपक जलाएं, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे।
- ✔ घर के बुजुर्गों या बच्चों को शाम के समय आरती और पूजा में शामिल करें, ताकि यह परंपरा पूरे परिवार के लिए लाभदायक हो।
शास्त्रों में उल्लिखित मान्यताएं
- गरुड़ पुराण के अनुसार, शाम को दीपक जलाने से पितरों (पूर्वजों) की आत्मा को शांति मिलती है और घर में शुभता बनी रहती है।
- स्कंद पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति शाम के समय दीपक जलाकर भगवान का स्मरण करता है, उसके घर में हमेशा लक्ष्मी का वास रहता है।
- रामायण और महाभारत में भी उल्लेख मिलता है कि रात्रि के समय अंधकार नकारात्मक शक्तियों का प्रतीक होता है, इसलिए इसे दूर करने के लिए दीप जलाने की परंपरा बनाई गई है।
यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख-शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे, तो कभी भी पूजा स्थान को अंधेरे में न छोड़ें और रोजाना शाम को दीपक जलाने की आदत डालें। यह एक छोटा-सा बदलाव आपके जीवन में बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
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निष्कर्ष – शाम के समय इन गलतियों से बचें और जीवन में सुख-समृद्धि बनाए रखें
शाम का समय केवल दिन के अंत का संकेत नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और ऊर्जावान परिवर्तन का समय होता है। हिंदू धर्म, वास्तु शास्त्र और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह समय अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि इस समय कुछ विशेष गलतियां की जाएं, तो यह न केवल मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, बल्कि आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से भी नुकसानदायक साबित हो सकता है।
हमने इस ब्लॉग में पांच महत्वपूर्ण गलतियों पर चर्चा की, जिन्हें शाम के समय करने से बचना चाहिए:
- सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना या कूड़ा बाहर फेंकना – यह धन और सकारात्मक ऊर्जा के ह्रास का कारण बन सकता है।
- शाम को तुलसी के पौधे को न छूना या जल न देना – इससे मां लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं और घर में नकारात्मकता बढ़ सकती है।
- तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस, शराब) का सेवन – यह मन और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और आध्यात्मिक उन्नति में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- सूर्यास्त के बाद झगड़ा या अनावश्यक बहसबाजी – यह घर में कलह और अशांति को जन्म देता है और मानसिक तनाव को बढ़ाता है।
- दीपक या पूजा स्थान को अंधेरे में छोड़ना – इससे नकारात्मक शक्तियां प्रभावी हो सकती हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती।
शाम के समय अपनाने योग्य सकारात्मक आदतें:
यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे, तो इन बातों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें:
- ✔ हर शाम घर में दीपक जलाएं और घर के मंदिर को रोशनी से भरपूर रखें।
- ✔ झगड़ों और अनावश्यक बहस से बचें और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखें।
- ✔ घर में सफाई का काम सुबह या दोपहर में करें, शाम को झाड़ू-पोंछा लगाने से बचें।
- ✔ सात्त्विक और हल्का भोजन करें, जिससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहें।
- ✔ तुलसी के पौधे को सुबह जल चढ़ाएं और शाम को इसके पास दीपक जलाएं।
- ✔ परिवार के साथ समय बिताएं, भजन-कीर्तन करें और सकारात्मक सोच बनाए रखें।
शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करें
हिंदू धर्म के अनुसार, शाम के समय भगवान की आराधना, दीप जलाना, सकारात्मक सोच और अच्छे कार्यों से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति आती है। वहीं, अगर इस समय गलत आदतें अपनाई जाएं, तो इससे घर में दरिद्रता, नकारात्मकता और तनाव बढ़ सकता है। इसलिए इन महत्वपूर्ण बातों को अपने जीवन में अपनाएं और अपने परिवार में सुख-शांति बनाए रखें।
क्या आप पहले से इन नियमों का पालन करते हैं? या इस लेख से आपको कोई नई जानकारी मिली? हमें कमेंट में जरूर बताएं और इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- क्या शाम के समय के बाद झाड़ू लगाने से वास्तव में धन हानि होती है?
Ans. हिंदू शास्त्रों और वास्तु शास्त्र के अनुसार, सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना या कूड़ा बाहर फेंकना आर्थिक नुकसान और दरिद्रता का संकेत माना जाता है। हालांकि, यह एक धार्मिक मान्यता है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टि से रात में सफाई करने से धूल-मिट्टी हवा में उड़ सकती है, जिससे स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
- क्या शाम के समय तुलसी के पौधे को छूना या जल देना अशुभ होता है?
Ans. हां, हिंदू धर्म में मान्यता है कि शाम को तुलसी माता विश्राम करती हैं, इसलिए इस समय उन्हें जल नहीं चढ़ाना चाहिए। साथ ही, यह भी माना जाता है कि सूर्यास्त के बाद तुलसी में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है। हालांकि, तुलसी के पास दीप जलाने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- क्या शाम को तामसिक भोजन करने से स्वास्थ्य पर असर पड़ता है?
Ans.जी हां, वैज्ञानिक रूप से तामसिक भोजन (मांस, प्याज, लहसुन, शराब) को पचाने में अधिक समय लगता है, जिससे नींद खराब हो सकती है और मानसिक शांति प्रभावित हो सकती है। धार्मिक दृष्टि से यह आध्यात्मिक ऊर्जा को भी कम कर सकता है।
- क्या पूजा स्थल को अंधेरे में छोड़ने से नकारात्मक ऊर्जा आती है?
Ans. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संध्या समय दीप जलाना मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय है। यदि पूजा स्थान अंधेरे में छोड़ दिया जाए, तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है और अशुभ प्रभाव ला सकता है।
- क्या शाम के समय झगड़ा करने से घर में अशांति बढ़ती है?
जी हां, वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यास्त के बाद झगड़ा करने से घर में नकारात्मकता बढ़ती है, जिससे पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव हो सकता है। यह वैज्ञानिक रूप से भी सही है, क्योंकि गुस्सा और तनाव कोर्टिसोल हार्मोन को बढ़ाकर स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
सूचना के स्रोत (Source of Information)
इस ब्लॉग में दी गई जानकारी निम्नलिखित स्रोतों पर आधारित है:
✔ हिंदू धर्म ग्रंथ: गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, रामायण, महाभारत
✔ वास्तु शास्त्र और ज्योतिष: प्रसिद्ध वास्तु और ज्योतिष शास्त्रियों की मान्यताएं
✔ आयुर्वेद और विज्ञान: स्वास्थ्य और मनोविज्ञान से जुड़ी वैज्ञानिक रिसर्च
✔ सांस्कृतिक परंपराएं: भारतीय समाज में प्रचलित मान्यताएं और परंपरागत ज्ञान
अस्वीकरण (Disclaimer)
इस ब्लॉग में दी गई जानकारी धार्मिक, सांस्कृतिक और वास्तु शास्त्र पर आधारित मान्यताओं पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य पाठकों को जागरूक करना है, न कि किसी अंधविश्वास को बढ़ावा देना। वैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत विश्वासों के अनुसार निर्णय लेना पाठकों की जिम्मेदारी है। इस ब्लॉग में दी गई जानकारी का अनुपालन व्यक्तिगत आस्था और समझ पर निर्भर करता है।
शास्त्र और धार्मिक जैसे मान्यताओं के जानकारी लिए पढ़ते रहिए Brennig News!